Naga Sadhus Antim Sanskar: नागा साधुओं को नहीं दी जाती मुखाग्नि; फिर कैसे होता है इनका अंतिम संस्कार
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नागा साधुओं को नहीं दी जाती मुखाग्नि; फिर कैसे होता है इनका अंतिम संस्कार, जिंदा रहते ही अपना पिंडदान कर देते, महाकुंभ में हुजूम

Naga Sadhus Antim Sanskar

Naga Sadhus Ka Antim Sanskar Kaise Hota Hai Naga Sadhus Funeral Video

Naga Sadhus Antim Sanskar: जितनी चर्चा इन दिनों महाकुंभ की है, उतनी ही चर्चा नागा साधुओं की भी है। महाकुंभ में नागा साधुओं का हुजूम देखा जा रहा है। मोह-माया से विरक्त नागा साधु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं और धूनी रमाए बैठे हैं। इनके जीवन को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। भीषण ठंड में भी सिर्फ रख लपेटे निर्वस्त्र नागा साधु लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं। नागा साधुओं का जीते जी जीवन तो कठोर है ही साथ ही शरीर त्यागने के बाद इनका अंतिम संस्कार भी अलग तरह से होता है।

नागा साधुओं को नहीं दी जाती मुखाग्नि

हिन्दू धर्म के मुताबिक, 16 संस्कार हैं। जन्म होने के बाद जीवन से लेकर मृत्यु तक ये सभी संस्कार निभाए जाते हैं। इन्हीं संस्कारों में एक है अंतिम संस्कार। वैसे तो आम लोगों की अंत्येष्टि दाह संस्कार कर के की जाती है। यानि मुखाग्नि देकर। लेकिन नागा साधुओं के अंतिम संस्कार में उन्हें मुखाग्नि नहीं दी जाती है। आइये जानते हैं कि, फिर कैसे होता है नागा साधुओं का अंतिम संस्कार।

जूना अखाड़ा के कोतवाल अखंडानंद महाराज बताते हैं कि, मृत्यु के बाद किसी नागा साधु को समाधि दी जाती है। वह चाहे जल समाधि हो या फिर भू-समाधि। नागा की चिता को आग नहीं दी जाती। इससे बहुत दोष लगता है। क्योंकि नागा साधु संकल्पित होते हैं। वो पहले ही अपने जीवन को नष्ट कर चुके होते हैं और जिंदा रहते ही अपना पिंडदान कर चुके होते हैं।

नागा साधु जीवित रहते ही अपना तन और मन परमात्मा को समर्पित कर चुके होते हैं। ऐसे में उनके शव को अग्नि नहीं दी जाती है। पहले नागा साधुओं को जल समाधि देने का चलन था लेकिन प्रदूषण को कम करने के लिए अब नागा साधुओं को सिद्ध योग मुद्रा में बैठाकर भू-समाधि दी जाती है।

कैसे बनते हैं नागा साधु?

बताया जता है कि, नागा बनने के लिए गंगा में 108 बार डुबकी लगाई जाती है। खुद का पिंडदान किया जाता है। 48 घंटे की दीक्षा होती है। इसके साथ ही नागा बनाते हुए कामवासना को भी कंट्रोल में किया जाता है। नागा बन रहे पुरुषों की नस खींची जाती है। इसे लिंग तोड़ प्रक्रिया कहते हैं। इसके अलावा नागा बनने वाली महिलाओं को ब्रह्मचर्य की परीक्षा देनी पड़ती है। साथ ही कई प्रक्रियाओं से गुजरते हुए नागा साधु तैयार होते हैं। विभिन्न अखाड़ों के अलग-अलग नागा साधु हैं।

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